छंद गीत # लेखनी नॉन स्टॉप कविता प्रतियोगिता -01-Nov-2022
चंद्र ग्रहण (शंकर छंद गीत 16,10 पदांत गुरु लघु)
चाँद सलोना कितना प्यारा, हुआ क्यों नाराज।
गोरी के मुखड़े सा सुंदर, छुपा है सरताज।।
चाँद कभी दिखता था हमको, मामा के समान।
किस्से सुनते आए हैं हम, आज हो पहचान।।
नानी दादी कहे कहानी, बहुत करते काज।
गोरी के मुखड़े सा सुंदर, छुपा है सरताज।।
कभी गोल रोटी से दिखते, रोज बदला रूप।
छोटे इतने बनते जाते, पहुँचे नहीं धूप।।
कार्तिक मास पूर्णिमा को तो, ग्रहण लगता बाज।
गोरी के मुखड़े सा सुंदर, छुपा है सरताज।।
सदा सुहागन रखना मुझको,करूँ मैं उपवास।
जब परदेश पिया जातें हैं, तब भी दिखें पास।।
ऐसा दो आशीष हमेशा,करती रहूँ साज।
गोरी के मुखड़े सा सुंदर, छुपा है सरताज।
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कविता झा'काव्या'
राँची, झारखंड
# लेखनी नॉन स्टॉप प्रतियोगिता
08.11.2022
Muskan khan
09-Nov-2022 05:51 PM
Well done ✅
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Sachin dev
09-Nov-2022 07:46 AM
Nice 👌
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Gunjan Kamal
08-Nov-2022 11:52 PM
बहुत ही सुन्दर
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